जिम्मेदारियां
सबको मिलता है पुरखों से, धन-दौलत और शोहरत।
अगले पुष्तों को भी देंगे हम, ये सब अपने बदौलत।।
ताउम्र अपने आगे रखते हैं हम, अपने पुरखों का इज्जत।
जिम्मेदारियां कैसे निभाउ, समझाओ अब होकर एकमत।।
भ्रष्टाचार
क्यों चाहते हो रोकथाम जब खुद का ना बचा कोई ईमान।
जल्दी चाहते हो हर एक काम चाहे होते रहे कोई परेशान।।
मुक्ति चाहते है हर जुबान पर बंद रखें हैं अपने कान,
अगर तुम्हारा भी है ईमान और खुला है दोनों कान।
तो देखो कैसे भ्रष्टाचार रोक दिखाएगा इंसान।।
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