Friday, February 14, 2020

वन्देमातरम

निकले थे घर से हम ले यादों का झोरा, पता क्या ‌था नहीं मिलेंगे फिर वो गांव के छोरा ।

फिर निकले थे राहो में हम लेकर नईया तोरा, पता क्या था नहीं मिलेगा फिर नदियां का कोरा ।।

फिर निकले थे कर्म करने लेकर कसम तोरा, पता क्या था नहीं मिलेगा फिर शत्रु वो मोेरा ।

फिर जब प्राण निकले थे मेरे लेकर नाम तोरा , पता क्या था नहीं मिलेंगे फिर वो मौक़ा मोरा ।।

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