निकले थे घर से हम ले यादों का झोरा, पता क्या था नहीं मिलेंगे फिर वो गांव के छोरा ।
फिर निकले थे राहो में हम लेकर नईया तोरा, पता क्या था नहीं मिलेगा फिर नदियां का कोरा ।।
फिर निकले थे कर्म करने लेकर कसम तोरा, पता क्या था नहीं मिलेगा फिर शत्रु वो मोेरा ।
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