We also saw a dream of our knowledge.
Then the ears heard, spilling words.
The tongue was also not there when the lesson was insulted.
Then eyes spilled, tears were in the name of dreams.
The dreams were also played, a puzzle of knowledge.
Then the coals gave the honor of remembering Ravi.
Honor reminded me of the spilling dream.
Then knowledge returned, the desire of our desire.
हमने भी देखा था , एक ख्वाब अपने ज्ञान का ।
तभी कानों ने सुन लिया , छलकते लफ्ज़ जुबान का।।
जुबान भी तब साथ न था , जब मिला सबक अपमान का ।
तभी आंखों ने छलका दिया , आंसू ख्वाबों के नाम का।।
ख्वाबों ने भी खेलाया था , एक पहेली ज्ञान का।
तभी अंगारों ने दिला दिया , याद रवि के सम्मान का।।
सम्मान ने याद दिलाया था , छलकते ख्वाब जुबान का ।
तभी ज्ञान ने लौटा दिया , चाहत हमारे अरमान का ।।
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